पति की कब्र के साथ दफन होने के लिए किया 38 साल इंतजार

 डॉ. इडविन पियरसाल की पत्नी मैडम लूसिया पियरसाल पति के निधन के बाद वतन नहीं लौटीं। नाहन शहर के ऐतिहासिक विला राउंड में पति की कब्र के साथ ही दफन होने की उनकी इच्छा ने उन्हें यहीं का बनाकर रख दिया।


सिरमौर में रियासतकाल की एक प्रेम कहानी आज भी जिंदा है। शहर के ऐतिहासिक विला राउंड स्थित कैथोलिक कब्रगाह में अंग्रेजी मेम की प्रेमगाथा से जुड़ी है यह कहानी। महाराजा शमशेर प्रकाश के शासनकाल के दौरान सिरमौर के चीफ मेडिकल अफसर डॉ. इडविन पियरसाल की पत्नी मैडम लूसिया पियरसाल पति के निधन के बाद वतन नहीं लौटीं। नाहन शहर के ऐतिहासिक विला राउंड में पति की कब्र के साथ ही दफन होने की उनकी इच्छा ने उन्हें यहीं का बनाकर रख दिया। पति की मृत्यु के बाद अंग्रेजी मेम लगभग 38 साल यहीं रहीं।

सिरमौर में रियासतकाल की एक प्रेम कहानी आज भी जिंदा है। शहर के ऐतिहासिक विला राउंड स्थित कैथोलिक कब्रगाह में अंग्रेजी मेम की प्रेमगाथा से जुड़ी है यह कहानी। महाराजा शमशेर प्रकाश के शासनकाल के दौरान सिरमौर के चीफ मेडिकल अफसर डॉ. इडविन पियरसाल की पत्नी मैडम लूसिया पियरसाल पति के निधन के बाद वतन नहीं लौटीं। नाहन शहर के ऐतिहासिक विला राउंड में पति की कब्र के साथ ही दफन होने की उनकी इच्छा ने उन्हें यहीं का बनाकर रख दिया। पति की मृत्यु के बाद अंग्रेजी मेम लगभग 38 साल यहीं रहीं।

भाषा विभाग ने कुछ साल पहले ही इस पुस्तक का हिंदी अनुवाद भी किया है। हिस्ट्री ऑफ सिरमौर में भी डॉ. पियरसाल का जिक्र हुआ है। जब उनका निधन हुआ उस समय लेडी लूसिया 49 साल की थीं। 1885 में लूसिया ने भारी धन खर्च कर अपने पति की कब्र को पक्का करवाया और इंग्लैंड न लौटकर यहीं रहीं। लूसिया चाहती थीं कि मरने के बाद उसे भी पति की कब्र के साथ दफन किया जाए।


इसके लिए लूसिया ने 38 साल तक मौत का इंतजार किया। 19 अक्तूबर 1921 को आखिरकार वह घड़ी भी आ गई जब लूसिया का इंतजार खत्म हुआ और पति को याद करते हुए उसने दुनिया को अलविदा कह दिया। लूसिया की अंतिम इच्छा पूरी करने के लिए महाराजा ने सम्मान सहित लूसिया को भी उनके पति डॉ. पियरसाल की कब्र की बगल में दफनाया। 

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